Priyanka Verma

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लेखनी प्रतियोगिता रौनक

रौनक



तेरे चहरे पर ये जो रौनक है आई,
आखिर किस बात की चमक है छाई,
पिया मिलन का करती थी, 
तू जो इंतजार,
कहीं वो ही घड़ियां तो, 
आज समीप नही आईं,

फिरती थी तू इधर उधर, छम छम करती पायल तेरी
 वो भी आज ना जाने क्यों, मचा रही है बहुत शोर,
कुछ ना कहकर भी, सब कुछ बोल रही हैं अंखियां तेरी
हो रहे हैं महसूस हमें भी, तेरे अंदर नाचते अरमानों के मोर ,

तेरी तरसती नजरों में,
जो बसा था रूप उसका,
आज उससे मिलने का मौसम आ गया,
लगता है,
उसका ही खुमार तेरे चहरे की रौनक को,
और भी ज्यादा निखार गया!!

प्रियंका वर्मा 
4/6/2

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10 Comments

Saba Rahman

05-Jun-2022 11:18 PM

Nyc

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Shnaya

05-Jun-2022 07:37 PM

बहुत खूब

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Punam verma

05-Jun-2022 09:18 AM

Nice

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